लिंगाष्टकम

  • लिंगाष्टकम

    आदि शंकराचार्य रचित लिंगाष्टकम

    ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं
    निर्मलभासित शोभित लिंगम् ।
    जन्मज दुःख विनाशक लिंगं
    तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 1 ॥

    देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं
    कामदहन करुणाकर लिंगम् ।
    रावण दर्प विनाशन लिंगं
    तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 2 ॥